फिर खुद को ही खुदा क्यों समझता है इंसान। फिर खुद को ही खुदा क्यों समझता है इंसान।
कर्म करो, हार या जीत दो पहलू हैं, हार आपको आगे बढ़ने के नये-नये अवसर प्रदान करती है कर्म करो, हार या जीत दो पहलू हैं, हार आपको आगे बढ़ने के नये-नये अवसर प्रदान...
साथ देगा हर घडी़ यकीन था जिन पर वो हर शख्स अब मगरूर हो गया है। साथ देगा हर घडी़ यकीन था जिन पर वो हर शख्स अब मगरूर हो गया है।
विरले ही होते हैं जो पहुंच पाते हैं रूह के करीब। विरले ही होते हैं जो पहुंच पाते हैं रूह के करीब।
ये दुनिया समझो साथ उसी के जो समय देखकर चलता है। ये दुनिया समझो साथ उसी के जो समय देखकर चलता है।
अब जरूरत नहीं है इनको किसी के सहारे की बात- बात पर अपनों के सामने हाथ फैलाने की अब जरूरत नहीं है इनको किसी के सहारे की बात- बात पर अपनों के सामने ह...